Tuesday, May 18, 2021

विद्रूप

 नमस्ते वणक्कम।

नव साहित्य परिवार।

विद्रूप होते बोल।

मौलिक रचना मौलिक विधा।

  बोलने में मजा,

  विद्रूप तरीके में।।

  कुछ  दिखाओ ,

 कुच दिखाओ।

 जवानी की बातें।

 बुढ़ापे में अश्लील बातें।

 अध्यापक के लिए हिज्जे की गल्ती ।

 चित्र पट के लिए द्विसंवाद।

 मैं अध्यापक के नाते

 कितने विद्रूप शब्द।

 तमिल भाषा में 

एक ही "प "।

 पाप,बाप,भाप।

  मेरे पाप आए/बाप आए/ भाप आए।

  अक्षर मात्र सिखाना,

 तमिल में परेशानी।

 पचाओ பசாவோ.

बजाओ/बचाओ। 

 दोनों के भेद मुश्किल।

 वैशाखनंदन बैठिए,

 क्यों गृह पाठ नहीं लिखा।

 वैशाखनंदन तो गधा।

 सुनने में नंदकुमार जैसा आनंद।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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