Friday, May 28, 2021

पिता

 नमस्ते वणक्कम।

कलम बोलती है।

विषय पिता।

तिथि 28-5-2021

विधा मौलिक रचना तो विधा भी मौलिक।

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  पिता  पिछले 

जन्म का कर्म फल।

 पिता की आमदनी

  परिवार के लिए।

 विदेश में एकांत,

 उनको अपने 

माता पिता की चिंता।

भाई बहन की चिंता।

 अपनी पत्नी की विरह चिंता।

 अपने बच्चों की तुतली बोली 

 न सुनने की चिंता।

 इन सबको सानंद रखने

कमाने की चिंता।

 वीर सैनिकों की अपनी चिंता।

 घर का खाना नहीं,

 अपने प्यारे बच्चों की तुतली बोली सुनने का अवसर नहीं।।

 अपनी मन पसन्द पहनने ओढ़ने की चिंता ,

 वह तो बेचारा भला आदमी।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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