Friday, May 28, 2021

परिणय

 परिवार दल।

नमस्ते वणक्कम।28-5-2021.

परिणय 

मौलिक रचना मौलिक विधा।

  परिणय 

 भगवान की सृष्टियों का 

सहज प्रवृत्ति।।

 शादी के पहले भी

 तड़पता मानव।

 शादी के बाद भी

तड़पता मानव।

 शादी के पहले धड़कनें ।

 शादी के बाद भी धड़कनें।

पहली तड़प में,धड़कन में

श्रृंगार  रस संयोग वियोग का।

दूसरी धड़कनों में

आशा,निराशा,संतान पालन।

जिम्मेदारियों से भरा जीवन।

सुपुत्र -कुपुत्र,

स्वस्थ अस्वस्थ पुत्र।

प्रतिभाशाली ,

 मंद बुद्धि।

कुंती देवी का परिचय।

 सीता का परिणय।

खान गा़ँधी का परिणाम।

 व्यवस्थित,

अव्यवस्थित

जातीय,

अंतर्जातीय।

राष्ट्रीय,

अंतर्राष्ट्रीय।अ़ंतर्मजहबी।

 सब भाग्यशाली नहीं।

।भगवान की लीला।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

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