Saturday, May 29, 2021

हवा

 नमस्ते वणक्कम।

भगवान है पंच तत्व।

हवा नहीं देखती

भेदभाव।

केवल अल्लाह के भक्तों को ही नहीं,

केवल ईसा के भक्तों को ही नहीं,

शिव, राम,कृष्ण,

विष्णु भक्तों को ही नहीं सब के लिए बराबर।

हवा नहीं तो

सब मजहबी साँस

घुटकर मर जाते।

पानी को तो

बाँध बाँधकर 

रोक सकते।

 पानी पीने

 जा सकते हैं।

पर हवा न तो आग बुझ जाता।

सभी जीवरासियों के

प्राण पखेरु उड़ जाते।

वायु से फैलती बीमारियाँ,

वह नहीं देखता

मजहबी भेद।

मानवता प्रधान न तो

मानव जानवर सब बराबर।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


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