Tuesday, February 2, 2021

रिश्तें

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३_२_२०२१.

विषय। रिश्तें

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति

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रिश्तें   खून के ,

रिश्तें मिलन के,

 रिश्तें माँ के, सौतेली माँ के,रखैल के।

 माँ धाय माँ के

सब प्रकार के रिश्ते,

 रिश्ते दोस्त के, रिश्तें भक्तों के

 रिश्ते देश विदेश के

रामायण काल से आज तक

  सबके व्यवहार पढ़ा,परखा,

सच्चे ,कच्चे, पके,ठगे रिश्तें।

कर्ण की माँ निर्दयी

 कायर कामान्ध ।

भरत की माँ  अस्थिर,

मामा शकुनि  प्रतिशोध,

विभीषण ईमानदारी पर द्रोही,

मन में नाना विचार,

सर्वैश्वर की लीला।

भीष्म का बलात्कार,

विचित्र वीर्य नपुंसक तीन अबलाएँ,

विदुर से  अछूत का व्यवहार।

पांडवों के विविध पिता,

भीष्म प्रतिज्ञा,

अति विचित्र नाते रिश्तें।

ईश्वर की लीला अपूर्व अद्भुत।

मानव का सच्चा रिश्ता परमेश्वर।

जब  चाहते अपने आप परम पद देते।

बाकी रिश्तों में 

 विश्वसनीय-अविश्वनीय होते।

ईश्वरमानव सृष्टित अति स्वार्थ। के

 सोनिया मंदिर,मोदी मंदिर ,

जयललिता मंदिर,अभिनेता अभिनेत्री मंदिर।

मानव के स्वार्थ मंदिर। न समरस सन्मार्ग। इस करें हैं

 प्राकृतिक मंदिर सूर्य चंद्र,हवा,पानी,अग्नि,

ये ही समदर्शी भगवान।बाकी मानव निर्मित व्यापार केंद्र।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक










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इर

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