Thursday, February 11, 2021

रोटी உணவு உ

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।

रोटी।

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति


 बगैर आवास,बगैर वस्त्र  पशु सा ,

रह सकता है मानव।

बगैर रोटी के जिंदा रहना असंभव।

 काम में मग्न  वैज्ञानिक, शोधार्थी,

भूख का अनुभव नहीं करते।

न्यूटन  की पत्नी 

उसके पास नाश्ता रखती।।

उसके दोस्त   खाता,

पत्नी पूछती तो खाली थाली देख

कहते का चुका ।

ऋषि मुनि भूखा प्यासा 

अनशन रह तपस्या में लीन हो जाते।

 व्यस्त मनुष्य अपने लक्ष्य में विलीन

भूख   का महसूस ही नहीं करते।


मजदूरों को देखा कभी कभी काम में

इतना मग्न हो जाते,

काम पूरा होने के बाद ही

भूख का महसूस करते।

 भूखा प्यासा घंटों भजन में लगे

भक्तों को मैं ने देखा।

फिर भी "भूखा भजन

 न गोपाल" है प्रसिद्ध ।



संत तिरुवल्लुवर ने कहा। है -

श्रवण अध्ययन के लिए कुछ न हो तो

तब पैंट को कुछ दे सकते हैं।

कर्तव्य प्रधान हो तो रोटी अप्रधान।।

जवान पुलिस को सलाम

 जो रोटी समय पर नहीं खाते।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन, चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।















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