Wednesday, February 10, 2021

साहित्य का असरसमाज पर। சமுதாயத்தில் இலக்கிய த்தின் தாக்கம்.

 नमस्ते।वणक्कम।

साहित्य संगम  संस्थान तेलंगाना इकाई।

१०-२-२०२१

 विषय।  साहित्य का असर समाज पर ।

विधा अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति।


साहित्य का कथानक समाज से,

 पशु-पक्षी से,वनस्पति जगत से।

देखिए, वृक्ष अपने फल न भखै

नदी न संचै नीर।

 ऐसे ही पर हित के लिए सज्जन का जन्म।

प्रकृति से साहित्यकार  की कल्पना परोपकार की प्रेरणा।

दो जुड़वे पक्ष के प्रेम लीला।

प्रेमी-प्रेमिका की उत्तेजना।

चंदन पेड़ पर साँप लिपेटना,

कवि की शिक्षा--

 साँप के विष का प्रभाव 

चंदन पेड़ पर कोई असर नहीं।

गुणी को कोई बिगाड़ नहीं सकता।

कबूतर ने चींटी को बहते पानी में पत्ते डालकर बचाया।

वह चींटी की कृतज्ञता चींटी ने शिकारी को काटकर

कबूतर को बचाया।

वह तीर   एक ब्राह्मणी पर पड़ा।

वह मर गयी। विधी की विडंबना।

कर्ण के जांघ में भ्रमर घुसना।

ऐसे ही साहित्य का प्रभाव समाज पर पड़ता है।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक लो

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