Friday, February 19, 2021

Nirmal

 नमस्ते  वणक्कम 

कलंकारकुम्भ 

निर्मल 

विधा--भावाभिव्यक्ति ,   अपनी शैली 


निर्मल केवल मनुष्य के  लिए। 

मानवता  न  तो   मन निर्मल  कैसे?

सुअर  को मल प्रिय,

कीचड प्रिय भैंस।

कुतिया के पीछे सात कुत्ते,

 छात्रा के पीछे सात छात्र।

कहते हैं छात्रावस्था जवानी,

ऐसे न करेंगे  तो कब?

मल मन ,मल प्रचार,

हमारे पूर्वजों की संयम सीख,

जितेन्द्रियता कहाँ गई?

अनुशासन संयम रहित,

शिक्षा मल।

पूर्ण ज्ञान बिना प्रमाण पत्र।

डाक्टरी और अध्यापक।

मानसिक निर्मलता बगैर

सामाजिक निर्मलता कैसे?

 भ्रष्टाचारी शासन,

रिश्वतखोर प्रशासन,

 निर्मल समाज कैसे?

 निर्मलता तथा राजा,

तथा प्रजा,

वहीं मर तो निर्मल कैसे?

हर एक नेता के मंदिर हो तो

भले ही वह नास्तिक हो तो

पवित्र भक्ति एकता कैसे?

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन,चेन्नै।
















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