Monday, February 15, 2021

हम सफर

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।

१५-२-२०२१

हम सफर

अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।

संसार में   हम नंगा आते हैं,

कफ़न ओढ़कर अकेले जाते हैं।

 हम सफर कैसे?

 बाईस साल तक 

लड़कियों के लिए मायके

फिर  ससुराल ।

 सरकारी नौकरी हो तो तबादला।

हमारे विचार  , हमारी परछाई

हम सफर;  

हमारी शिक्षा दीक्षा हम सफर।

रक्त संचार हम सफर।

साँस लेना हम सफर।

साँस बंद सफर बंद।

बहुत्तर साल की उम्र में

 मेरे  निकट दोस्त छे स्वर्ग सिधारे।


स्वरचित स्वचिंतक

एस अनंतकृष्णन चेन्नै।

No comments: