Saturday, February 6, 2021

निंदक न्यारे राखिए

 साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई को वणक्कम। नमस्ते।

6=2=2021.

शीर्षक  निंदक न्यारे राखिये

विधा अपनी शैली अपनी अभिव्यक्ति।


निंदक न्यारे राखिए,पर आजकल कलीहाल।

चापलूसी पसंद कीजिए, 

भ्रष्टाचारियों को मत दीजिए।

मजहबी मानव मानव में 

फूट डालते एक  दूसरे के प्राण घातक।

सर्वे जना सुखिनो भवन्तु,जय जगत।

सनातन धर्म का अटल सिद्धांत।

किसान के नाम देशद्रोही,

  न्यायालय की अनुमति।

भंडा फोड़ा देशद्रोहियों का।

निंदक होते दुश्मन,

नजर रखिए उनपर।

पंद्रह मिनट की अवधा में,


20% 80%को भस्म करने की घोषणा,

सिर

फ भारत सस्ता, भारतवासी सहते।

निंदक न्यारे राखिये,पर रहिए सावधान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक




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