Thursday, February 11, 2021

माता -पिता

  नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली इकाई।
११-२-२०२१
माता-पिता
विधा-अपनीभावाभिव्यक्ति / युगानुकूल चित्रण

रामायणकाल में सीता भूमि से मिली।
माता -पिता का प्रमाण नहीं।
देव रहस्य ऋषिमूल नदी मूल न देखना।
महाभारत में विचित्रवीर्य तो पति नाम मात्र के.
पिता अन्य व्यक्ति।
तमिलाडु के आण्डाल तो बगीचे में मिली।
बचपन से थी विष्णुप्रिया ,ईश्वर की कवयित्री , भक्ता। प्रेमिका।
हर विश्व विख्यात के दिव्य पुरुष माता-पिता रहित।
साई शिर्डी के कैसे आये पता नहीं।
आजकल के समाचार पत्रों में चरित्रा हीन माता- पिता
खुद पुत्रों यापुत्री को ,पतिपत्नी को
पत्नी -पति को मार डालते हैं .
कुंती की कथा सर्वविदित।
आजकल का फेशन तलाक।

मानव मन संयम या जितेंद्र न हो तो
यह संक्रामक रोग परिवार में असाध्य रोग होगा ही।
इसीका प्रमाण प्रेमदिवस ,माता दिवस ,पिता दिवस।
आम जगह चुम्बन दिवस ,आलिंगन दिवस।
सोचो जागो आदर्श परिवार की सीख का प्रचार करो।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी

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