Monday, January 18, 2021

धन பணம்

 दोष  देखना  गैरों  का   बंद  कीजिए --नूतन साहू  वाह। 

बुरा जो देखन मैं गया ,बुरा न  मिलिया कोय। जो दिल खोजा अपना मुझसे बुरा न कोय --कबीर। 

हर कोई अपने को सही रखें तो 

देश स्वर्ग तुल्य  मान। 

हमेशा यह याद रखना ,

बार बार जानी हुई  बात दोहराना 

सही या गलत।,

दोहराने में  मजबूर मनुष्य। 

धन  न रोक सकता जवानी। 

धन न रोक सकता श्वेत बाल। 

धन न रोक सकता बुढ़ापा। 

फिर भी भ्रष्टाचारी ,रिश्वतखोरी ,ठग 

आदि काल से पनपते जग  में। 

वाल्मीकि से पाठ न सीखा। 

तुलसी से  पाठ न सीखा। 

भर्तृ हरी से पाठ न सीखा। 

बुद्ध से पाठ न सीखा। 

अंगुलिमाल से  पाठ न सीखा। 

छत्रपति शिवाजी से पाठ न सीखा। 

इंदिरागांधी ,संचय , राजीव से पाठ न सीखा। 

खांन गांधी ठग से न सीखा। 

आज तमिलनाडु के पहाड़ 

हिन्दू मंदिर छिपाकर 

ईसाई  गिरिजा घर , मुग़ल दरगा। 

सहने तैयार ,पर वे तो भारतीय संस्कृति ,भाषा मिटाने तैयार। 

बगैर दोष देखे बताये ,समझाए जीना 

स्वाभिमान है क्या ?

जिओ जीने दो। 

हम हैं तो 

अन्यों का नाश करो ,जड़ मूल नष्ट करो 

खुद जीओ तब न सोचे मरना 

सार्थक कहाँ तक ?

सोचो ,मीन मेख देखना सही 

आत्माभिमान और स्वरक्षा के लिए। 

स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन। चेन्नै  हिंदी प्रेमी

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