Wednesday, January 13, 2021

मैं पतंग

 नमस्ते।

मैं पतंग। भगवान डोर।

भगवान चढ़ाएगा तो सर्वोपरी मैं।

 शिथिल करेगा तो अतल पाताल।।

मैं पतंग, भगवान दीप।

प्रेम भक्ति में मंडराकर ,

आत्मा  परमात्मा ज्योति में मिलन।  

पतंग वायु भगवान में डाँवाडोल।।

मन जैसे उड़ाने वाले की चतुराई।

जीवनाधार  डोर ईश्वर।

मैं पतंग  उड़ाना गिरना उनके हाथ।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।


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