Tuesday, January 5, 2021

दिल और दिमाग।

 नमस्ते।

चित्र लेखन।

मन और दिमाग मिलन 

अपूर्व ।।

मन  में एक दल।

वोट माँगते अनेक दल।।

सब से कहेंगे  मेराओट आप को ही।

दिल और दिमाग मिलता नहीं ।


मन ऊपरी मन,

भीतरी मन।

भीतरी मन  एक सोचेगा।

दिमाग परिस्थिति के अनुकूल

 कहने देगा या  कहने न देगा।

 दोस्ती-यारी निभाने

अंतर्मन की बात मन में ही।।

दोस्ती गलती को दिमाग कहने न देगा।

अतः अंत तक 

कर्ण की कृतज्ञता 

दुर्योधन के साथ।

द्रोणाचार्य का मन

पांडवों के साथ।

फिर भी कौरवों के साथ।।

विभीषण का दोनों मन

 राम के पक्ष।

मन और दिमाग मिला।

भाई भाई में विरोध अलग।

अधिकांश बात दिमाग से

 मन छू नहीं सकता।।







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