Thursday, June 17, 2021

प्रकृति के उपहार

 नमस्ते वणक्कम।

नव साहित्य परिवार।

विषय

 प्रकृति के उपहार।

विधा

निज रचना निज शैली।

मौलिक रचना मौलिक विधा।

++++++++++

 प्रकृति के उपहार वर्णनातीत।

 साँस लेने हवा,

प्यास बुझाने पानी।

स्वस्थ तन के लिए 

 फूल, फल, तरकारियां।

 मनोरंजन के लिए

 जलप्रपात,झील,नदी,जंगल।

 ग्रीष्म वास ,कितना शांति प्रद।

  रंग-बिरंगी तिलियाँ,मछलियाँ,

रंग-बिरंगे फूल,

 भ्रमर का मंडराना,

मधु मक्खियों के परिश्रम,

 उनसे मिलते शहद।।

 रंग-बिरंगे पशु-पक्षी,

 सूर्योदय,चंद्रोदय,

 बिजली की चमक,

काले बादल का गर्जन,

समुद्र की लहरें ठंडी हवा।

 कदम कदम पर प्रकृति के उपहार।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

 स्वरचित स्वचिंतक

 एस. अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

No comments: