Saturday, June 19, 2021

पलपल

 नमस्ते वणक्कम।

पल पल का बरबाद ,

 प्रगति बंद जान।

बूंद बूंद में सागर बनता।

 पल पल उम्र।

 समुद्र तो भाप बनता।

समय बीतते बीतते,

 बुढ़ापा लाता।

 तब पछताने से लाभ नहीं,

पल पल में प्रलय संभावना।।

पल पल का सार्थक जीवन

परमात्मा का प्रीति उपार्जन।

परमात्मा का प्रीति उपार्जन

आजीवन परमानंद  लक्षण।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस. अनंतकृष्णन

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