Friday, June 11, 2021

बाल मजदूरी

 नमस्ते। वणक्कम।

 बाल मजदूरी।

 धंधा सीख लो,

 निश्चिंत रहो।

  स्नातक बनकर

  ड्रेवर का काम करने से

  बचपन से पेशा ।

 आत्म निर्भर रहना,

  ग़लत नहीं,

 पर बालकों से

 निर्दयी व्यवहार 

सहा नहीं जाता।

 स्नातक बनकर पकौड़ा 

 बेचने से कोई न कोई पेशा

 बूट पालिश बालक करता तो

 उसका  अपमान असहनीय।।

    समानता का अधिकार है तो 

  अमीर गरीबी अलग अलग 

  पाठशाला क्यों ?

 फुटपाथ का होटल,

 फ़ैव स्टार होटल क्यों।

 बड़े बड़े शहरों में 

स्लम एरिया क्यों?

ग़रीबों की बस्ती क्यों?

  गोद में बच्चे भिखारिन ।

 उसको भीख देना पाप।

 शिशु चोरी का मार्ग।

   बाल मजदूरी 

सरकार कानून हैं ,तो

 ग़रीबों को बच्चा क्यों।

 चुनाव जीतने सौ करोड।

 गणेश विसर्जन सौ करोड़।

 व्यर्थ है बाल मजदूरी पर

 कविता का मगरमच्छ आँसू।

 तीस हजार गणेश मूर्ति,

 विसर्जन के नाम ईश्वर का अपमान।

 हर साल करोड़ों रुपए।।

 बाल मजदूरी कम करना तो

  दिल से कदम उठाना है।

 तीन सौ करोड़ की मूर्तियाँ।

 करोड़ों के मंदिर।

 बाल मजदूरी की कविता व्यर्थ।

 बाल मजदूरी 

 बाल काटने सौ रुपए।

 हजामत अस्सी रुपए।

   भारत संपन्न देश।

 हर साल विसर्जन के

 करोड़ों रुपए।

 फुटपाथ के लोग चाहिए

 चुनाव की बदमाशी के लिए।

  सांसद बनने करोड़ों रुपए।

 विधायक बनने करोड़ों रुपए।

 क्या वह पचास लाख 

बाल मजदूरी दूर करने देगा तो

 524X500000

विनायक विसर्जन

 30000 रुपये एक मूर्ति!


1000मूर्तियाँ।

30000X1000

बाल मजदूरी दूर करने न देंगे।

मंच पर जोरदार भाषण। बेकार।

 कविता लिखना बेकार।

 अपना अपना भाग्य।

  कफ़न के रूप में

   सफेद बरफ़ 

 नंगे बालक पर

 प्रकृति की देन।।

 यही वास्तविकता जान।

अपना अपना भाग्य।

 स्वरचित स्वचिंतक 

एस अनंतकृष्णन चेन्नै

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