Monday, June 7, 2021

जीवन

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य संगम संस्थान राजस्थान।

7-6-2021

विषय --जीवन

 विधा  मौलिक रचना मौलिक विधा।


जन्म -मरण के बीच की जिंदगी है जीवन।

 धनी भी आनंद ,

  गरीब भी आनंद।

   अघोरी भी आनंद।

   भिखारी भी आनंद।।

    सभी के जीवन 

    अपने     अपने 

     दायरे में आनंद।।

     कभी कभी मैं देखता हूँ,

     रईस  की तुलना में,

     रंक का जीवन 

अति  आनंद।।

  मच्छरों के बीच मधुर नींद।

  पियक्कड़ का जीवन,

 मक्खियाँ भिन भिनाती।

 मध्य नींद है उसका।।

 रोज़ खून का निदान।

शक्कर बढ़ता-घटता।।

 तनाव ही तनाव 

अमीरी जीवन।

 धन की रक्षा,पद की तरक्की।।

  भगवान जितना देता,

   उतना ही आनंद।।

 जीवन जीने प्रयत्न।

  मृत्यु आ जाती अपने आप।

  जीवनानंद 

जीवन अंत बराबर।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

No comments: