Saturday, June 19, 2021

बुढ़ापा परिचर्चा।

 19 6 2021 के लिए 18मिनट।

नमस्ते वणक्कम।।

समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

बिखरता परिवार सिमटता प्यार।

 विधा

निज शैली निज रचना।

मौलिक रचना मौलिक विधा।

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बिखरता परिवार क्यों?

रामायण काल से शुरू।

 गहराई से सोचिए,

 कैकेई ,मंथरा का षड़यंत्र

 राम और सीता का वनवास।।

 परिवार बिखरा। दशरथ का तड़प।

 सीता का भूमि में से मिलना।

 परिवार का बिखेर ना।

ईसा मसीह के पिता नहीं।

 परिवार बिखरा ।

 लव‌ कुश को पता नहीं,

 उनके पिता कौन?

 कबीर के पिता कौन?

 कर्ण अपमानित क्यों?

विदुर का अवहेलना क्यों?

   प्रह्लाद का तड़प, ध्रुव की तपस्या।

 शकुंतला की वेदना।

मुगलों की तलाक नीति।

 पाश्चात्य देशों में

  बच्चे के रहते माँ के नये पति।

 पिता की  नयी पत्नी।

  बिखरता परिवार।।

 सिमटता प्यार।

  एक जमाना था,

 अपने गाँव न छोड़,शहर छोड़ना

समुद्र लांघना बड़ा पाप।।

  स्नातक कोई नहीं।

 आजकल  स्नातक स्नातकोत्तर अधिक।।

गाँव छोड़कर नौकरी के लिए

 शहर जाना /विदेश जाना प्रशंसनीय।

 बचपन से ही 

अमेरिका में 

बसने का सपना।


 स्वदेशे पूजयते राजा , 

विद्वान सर्वत्र पूज्यते।

 शिक्षितों में अंतर्राष्ट्रीय 

अंतर्जातीय विवाह।।

 हम दो, हमारे दो नारा।

बूढ़ों को अपने गाँव 

तजने की इच्छा नहीं

 जवानों को अपने गाँव में

 रहने की इच्छा नहीं

बस बिखरता परिवार,

सिमटता प्यार।।

स्वरचित स्वचिंतक

एस-अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु।।

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