Thursday, June 3, 2021

धर्म परिवर्तन

 नमस्ते वणक्कम।

   पसंद अपनी अपनी।

४-६-२०२१.

 मौलिक रचना मौलिक विधा।

   भक्ति  क्षेत्र।

  भगवान पर विवाद।

 रमा आठ साल की बच्ची थी।

 एक दिन दादी और माँ के बीच बड़ी लड़ाई शुरू हो गई।

 लड़ाई का कारण तो  भगवान के मंदिर जाने में।

 माँ ने कहा आज घर के पास के शिव मंदिर जाना है।

 दादी का कहना है दूर के लक्ष्मी मंदिर जाना है।

 आज शुक्रवार है।

 माँ का तर्क है शिव मंदिर में 

 दुर्गा है। हमें शक्ति चाहिए।

 दादी का कहना है कि  शुक्रवार है। धन है तो बल। इतने में चाचा ने कहा--

 धन बल दोनों सरस्वती की कृपा से मिलेंगे। सरस्वती मंदिर में नहीं,घर घर में है।

 दोनों को कहीं जाने की जरूरत नहीं।

क्रोधित होकर रमा की माँ

 कैकेई बन गई। बिस्तर पर आँसू बहाते रही। घर में खाना नहीं बना। रमा को अधिक भूख लगी। वह उदासी चेहरे लेकर घर के बाहर सीढ़ी पर  बैठ गई। इतने में इब्राहिम वहाँ आया। उसका घर रमा के घर के सामने थी। 

इब्राहीम ने पूछा कि उदास क्यों बैठी हो?

 रमा ने अपनी राम कहानी सुनाई और कहा घर में खाना नहीं बनाई।

मुझे भूख लगती है।

 इब्राहीम रमा को अपने घर ले गया। खाना खिलाया और कहा-सब का मालिक एक है।

 वह अल्ला है। लक्ष्मी को यह पसंद आयी।बचपन में ही धर्मपरिवर्तन करने की चाह जम गई।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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