Friday, June 4, 2021

रिश्तों का क्षरण

 नमस्ते वणक्कम।

रिश्तों का क्षरण।

 कहानी।

  आज  मेरे चाचा और मेरे पिता से झगड़ा शुरू हो गया।।

 घर के पीछे बड़ा इमली का पेड़। 

सत्तर साल पुराना।

  पर्व पर अधिक फल लगते।

  मेरे चाचा,बुआ,  ,काका,और सदस्य । सबको फल बाँटने पर एक साल तक रसोई का काम आता।

मेरे दादा की मृत्यु के बाद घर के बँटवारे का महायुद्ध चलता था, परिणाम स्वरूप घर बँट ग्रे पाँच टुकड़ों में। अब इमली के फल बाँटने में महाभारत।

 वह पेड़ चाचा के भाग में था।

 पिताजी काटने न देते।

चाचा घर के विस्तार के लिए कटवाना चाहते थे।

 पिताजी ने कहा दिया,

 पेड काटोगे तो मैं तेरा भाई नहीं,तुम  मेरे भाई नहीं हो।

 एक दूसरे का मुख नहीं देखेंगे।

 यह घटना होकर तीस साल हो गये। मेरा बेटा अमेरिका चला गया और चाचा का बेटा भी। हम तो तीस साल से एक दूसरे से न मिले।

  विदेश में तो मेरे  बेटे और चाचा के बेटे में गाड़ी मित्रता हो गई।

   यह रिश्तों के क्षरण  या परिधि या गोला     पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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