Wednesday, June 16, 2021

दृष्टि सृष्टि

 साहित्य संगम संस्थान हरियाणा  इकाई।

नमस्ते वणक्कम।

१७-६-२०२१.

 जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।

निज रचना निज शैली।

मौलिक रचना मौलिक विधा

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ऋषि-मुनियों की अपूर्व शक्ति,

नज़र पड़ते ही सृष्टि।।

शीर्षक का अर्थ अति गूढ़।

 युधिष्ठिर की दृष्टि में

 सृष्टियों में सब लगे अच्छे।।

सुयोधन की दृष्टि में

 सब सृष्टियाँ बुरी लगीं।

शक्कर रोगी की  दृष्टि में

 शक्कर की सृष्टि अति खतरनाक।।

 जो मरने तैयार, उसके लिए

 समुद्र की गहराई घुटने तक।

गोताखोर की दृष्टि में

 सीपी लेने डुबकियाँ लगाना

 सीपी में मोती की सृष्टि , उसकी दृष्टि में अनुपम ।।

 स़ंपेरे की  दृष्टि में

 सांप की सृष्टि एक खिलौना।

अन्यों की दृष्टि में खतरनाक सृष्टि।

  बाघ की दृष्टि में हिरन की सृष्टि आहार के लिए।

 हिरण को बाघ की स।ष्टि खतरनाक।।

 स्वरचित स्वचिंतक 

एस. अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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