Friday, August 3, 2012

प्रार्थना



प्रार्थना

मनुष्य अपने जीवन काल में

जितने कष्टों का सामना करता है,


उतना ही अनुभव पाता  है।

कई अपने कटु अनुभवों से ऊब जाते है।

 अनेक धीरज खो  बैठते हैं।
अपने जीवन की निराशा वे सह नहीं पाते।

कुछ चित भ्रम हो बैठ जाते है।
कुछ पागल हो जाते  हैं।
एकाध आत्म- हत्या के प्रयत्न करते हैं.
एकाध आत्म -ह्त्या  कर लेते हैं।
संसार में जन्म लेनेवाले ख़ुशी या संतुष्ट जीवन बिताने का कोई प्रमाण नहीं है।
साधू संत भी भूख सहकर कठोर तपस्या करके ही 
अपने साधना के मार्ग पर सफलता प्राप्त करते हैं।
भगवान राम हो या कृष्ण हो या शिव बुध्द
पैगम्बर मुहम्मद हो या जीसुस  सबको कष्ट सहना ही पड़ा।
फूल सूखते हैं,प्राकृतिक परिवर्थान सा ही मनुष्य जीवन है।
खुद खुशी इसका उपाय नहीं है।
धीरज बाँधने का एकमात्र स्रोत है ----प्रार्थना।

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