Tuesday, August 14, 2012

संत तिरुवल्लुवर. ; गृहस्थ जीवन


                                                                       पारिवारिक जीवन.

                                                              संत  तिरुवल्लुवर.
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तमिल संत तिरुवल्लुवर ने परवारिक जीवन की श्रेष्ठता  और जीने की रीती को अपने दस दोहों में वर्णन किया है.

१.एक परिवार के मुखिया का अनिवार्य कर्त्तव्य  है-अपने माता-पिता और संतानों का देखपाल करना  और रक्षा करना.उनका सहायक बनना.

२.एक कुटुंब के नेता  वही है ,जो अनाथ,भूखे,और साधू-संतों का सहायक बनता है.और उनका साथ देता है.

३.स्वर्ग सिधारे लोगों की याद रखना,अच्छे सुखी लोगों का यशोगान करना,
अतिथि सत्कार करना,अपने नाते-रिश्तों की सहायता करना,अपने को भी सुखी और सुरक्षित रखना  आदि एक परिवार के नेता का कर्त्तव्य है.

४.एक पारिवारिक   प्रधान को बुरे मार्ग पर धन कमाना अपयश प्रदान करता है.उसको अपने अपवाद होने का भय अनिवार्य रूप में होना चाहिए.उसको 
अपने भोजन को दूसरों में बांटकर खाना चाहिए.यह भी पारिवारिक धर्म है.

५.पारिवारिक जीवन का ऊँचा गुण प्यार और धर्म के गुणों को अपनाना है.
ऐसे दाम्पत्य जीवन आदर्श मय हो जाता है.

६.धर्म के बल पर जो  परिपूर्ण जीवन  बिता रहा है(((,वह अपने  आदर्श जीवन के द्वारा ही))) ,उसको जीवन का सारा फल अपने आप प्राप्त हो जाएगा.

७.जो अपने पारिवारिक  लक्षण और  धर्म  सहज में ही निभाता है,सुखी जीवन जीने के प्रयास में लगता है,वही सर्वश्रेष्ठ कुटुंब का प्रधान है.

८ जो .खुद अनुशासित जीवन बिताकर,दूसरों को भी अच्छी चल-चलन सिखाकर अनुशासित मार्ग पर ले जाता  है,वही अनासक्त साधुवों से श्रेष्ठ है.

९ दूसरों  के अपवादों से बचकर सुचारू रूप से सन्मार्ग पर जीना ही आदर्श 
पारिवारिक जीवन है .

१० काल्पनिक .देवताओं से श्रेष्ठ  वही है,जो सांसारिक नीति -नियमों का अनुकरण करते हुए   गृहस्थ जीवन बिताता है.


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