Wednesday, August 8, 2012

ईश्वर मनुष्य संसार


ईश्वर  मनुष्य संसार

मनुष्य  शक्ती जीतती रहती तो एक  अमानुष्य शक्ति पर वह कभी विचार नहीं करता.


 तब वह ईश्वर का नाम ही नहीं लेता. उसे कभी -कभी इतनी बडी चोट लगती,वह अपना अस्तित्व खो  देता

 है.इस अवसर के लिये ज्योतिष,पुजारी,आचार्य आदी  पीडित  की प्रतीक्षा में रहते हैं

.उनमें सचमुच एक अमानुष्य शक्ति है.वह तो कैसे मिलती है?

पता  नहीं चलता.

ये लोग अपनी ईश्वरीय शक्ति से लोगों के दुख दूर करने  का मार्ग दिखाते.

धीरे उन अलौकिक शक्ति वालों के मन में अलौकीक्ता छा गयी.

वे लोभी बन  गये. जो उनसे धोखा खा चुके,वे  सब   उन पर आरोप करने लगे.ठगो की संख्या बडी.

फिर भी आज भी  सादगी में रहनेवाले सिद्ध   पुरुषों   को देख्नेवाले हैं.इसीलिये आज भी ज्योतिष विज्ञान

 जिंदा है.
लेकिन  अन्य क्षेत्रों  की   तरह  इसमें भी     व्यवसायिक  मनोभाव   बढ  गया  है . अतः सावधानी से रहना

 जरुरी है.प्रायश्चित  तो कुकर्म छोडकर सद्कर्म में लगना है. सोना -चांदी -यज्ञ    आदि   तो लूट है

.पाप भी करूं,प्रायश्चित भी करूं  तो

ईश्वरीय दंड से बचना असंभव है.

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