Monday, August 6, 2012

विवेक चिंतामणि



विवेक -चिंतामणि ---1


तिरुवरुनै   मंदिर  के  गोपुर में विराजमान ,

विघ्नेश्वर की करें ,प्रार्थना हम.

परिणाम  स्वरुप इस जन्म का,

पूर्व  जन्म  का,दुःख होगा दूर.

सकल दुःख हरेंगे,

माँ के  गर्भ से जन्मे 

विघ्न बाधाएं मिट जायेंगे.

அல்லல் போம் வல்வினை போம் ,
அன்னை வயிற்றிற் பிறந்த தொல்லைபோம்,
போகாத் துயரம் போம் -nalla
குணமதிக மாமருணைக் கோபுரத்தில் மேவும் 
கணபதியைக் கை தொழுதக்கால்.


संतान जो विपत्ति में साथ नहीं देता;

अन्न जो भूख  नहीं मिटाता;

पानी जो प्यास नहीं बुझाता;

,पत्नी जो गरीबी नहीं जानती;

 ,राजा जो क्रोध नहीं दबाता;

,शिष्य जो गुरु की बात नहीं मानता;

तीर्थ जो पाप नहीं हरता;

उपर्युक्त इन सातों के  होने ,

  नहीं कोई प्रयोजन.

ஆபத்துக்கு உதவாப் பிள்ளை,
அரும்பசிக்கு உதவா அன்னம்,
தாபத்தைத் தீராத் தண்ணீர்,
தரத்திற மரியா பெண்டிர்,
கோபத்தை அடக்கா வேந்தன் 
குருமொழி கொள்ளாச் சீடன்
பாபத்த தீராத் தீர்த்தம்,
பயனிலை எழுந்தானே.



3 .पुत्र उम्र के बढ़ने पर पिता  की बात मानता नहीं.

सर पर फूल रखकर प्रेम   करनेवाली   पत्नी,

बुढ़ापे में अपने पति  की इज्ज़त  नहीं करती. 

शिक्षा ग्रहण करने के बाद शिष्य गुरु की तलाश नहीं करता.

रोगी स्वस्थ होने के बाद    वैद्य  की  चिंता  नहीं करता.


विवेक चिंतामणि  तमिल का नीति ग्रन्थ है.इसमें जीवन की बातें कवि ने 
अपने अनुभव से लिखा है जो शाश्वत सत्य है.
४.
अति प्यार से सत्कार सहित सत्य बातें बोलकर ,

बिन नमक के रूखा-सूखा ,खिलायें तो वह अमृत समान है.

अनादार से षडरस खाना भूखे को खिलाने पर ,

भूख  नहीं मिटेगा उसकी ;खाना नहीं खायेगा

 भले ही भूख के कारण प्राण चले जाय.

चिंता  नहीं  उसकी   जान  की;   मान   ही  बड़ा है. 

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